Course Duration
1Hours
1Hours
Videos
1
1
No. Of Sessions
1
1
Sessions per week
At your own pace
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Language
Hindi
Eligibility
Anyone
Anyone
Schedule of Classes
Starts on
-
Always opne
At your own pace
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About the Teacher
ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya
About the Teacher
ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings. ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya is located in Sri Govardhan dhama to systematically propagate the teachings of Śrīmad-Bhāgavatam and Caitanya-caritāmṛta to the society at large.
To accomplish the above mission, ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya will facilitate philosophical training for adult residential and non-residential students through the traditional Vedic educational methods. ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.
Course Overview
पाठ्यक्रम शीर्षक:
श्री ईशोपनिषद :
(श्लोक 2): क्या कर्म बंधन से मुक्ति संभव है?
पाठ्यक्रम विवरण:
यह पाठ्यक्रम श्री ईशोपनिषद के गहन श्लोकों और उनके अर्थों का अध्ययन करेगा। यह उपनिषद वेदों के सबसे महत्वपूर्ण और छोटे उपनिषदों में से एक है, जो अध्यात्म, दर्शन और जीवन के उद्देश्य पर आधारित है। इस पाठ्यक्रम में हम विशेष रूप से श्लोक 2 पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जो कर्म और जीवन की सही दिशा के बारे में शिक्षा देता है।
पाठ्यक्रम सामग्री:
- कुर्वन्नेवेह कर्माणि (श्लोक 2):
- कर्म करते हुए सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिए। यह जीवन का एकमात्र सही मार्ग है।
- सतत कर्म की आवश्यकता और इसके महत्व का अध्ययन।
- जीवन में कर्म का सही स्थान और भूमिका।
लक्ष्य श्रोता:
- वे व्यक्ति जो भारतीय दर्शन और वेदांत में रुचि रखते हैं।
- अध्यात्मिक साधक और योग अभ्यासक।
- भारतीय संस्कृति और धर्म का गहन अध्ययन करने वाले विद्यार्थी।
- जीवन के उद्देश्य और मार्गदर्शन की तलाश में रहने वाले लोग।
- वे लोग जो अपने कर्मों के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी समझना चाहते हैं।
पाठ्यक्रम की आवश्यकता:
- आज की व्यस्त जीवनशैली में कर्म और धर्म का संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता।
- भारतीय उपनिषदिक ज्ञान का सही और गहरा अध्ययन।
- जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने की जिज्ञासा।
- सतत कर्म और उसकी महत्ता को समझने की आवश्यकता।
कोर्स से प्रतिभागियों को क्या मिलेगा?
- ईशोपनिषद के श्लोक 2 का विस्तृत और गहरा ज्ञान।
- जीवन में कर्म की महत्ता और सही दिशा की समझ।
- आत्मा, ब्रह्म, कर्म, और मोक्ष के विषयों की समझ।
- व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास के लिए मार्गदर्शन।
- कर्म करते हुए जीवन में संतोष और संतुलन प्राप्त करने की कला।
क्यों करना चाहिए यह कोर्स?
- भारतीय दर्शन और वेदांत का समृद्ध ज्ञान प्राप्त करने के लिए।
- आत्मिक शांति और संतोष की खोज में।
- जीवन के उद्देश्य और सही मार्गदर्शन की प्राप्ति के लिए।
- कर्म के महत्व को समझने और जीवन में सही दिशा पाने के लिए।
हम इस पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों की कौन-कौन सी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं?
- आत्मिक असंतोष: जीवन में संतोष और शांति की कमी।
- अज्ञान: आत्मा और परमात्मा के वास्तविक ज्ञान की कमी।
- जीवन में दिशाहीनता: जीवन के उद्देश्य और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता।
- मानसिक तनाव: आधुनिक जीवन की समस्याओं से उत्पन्न तनाव और चिंता।
- अध्यात्मिक विकास: व्यक्तिगत और आत्मिक उन्नति की खोज।
- कर्म और नैतिकता: जीवन में सही कर्म और नैतिकता की समझ और उसका अनुपालन।
यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को श्री ईशोपनिषद के माध्यम से जीवन की गूढ़ रहस्यों को समझने और एक संतुलित, शांतिपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का मार्गदर्शन प्रदान करेगा।