Course Duration
20 Hours
20 Hours
Videos
2 Hour/ Session
2 Hour/ Session
No. Of Sessions
10
10
Sessions per week
At your own pace
At your own pace
Language
Hindi
Eligibility
Anyone
Anyone
Schedule of Classes
Starts on
-
Always Open
At your own pace
About the Teacher
ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya
About the Teacher
ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings. ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya is located in Sri Govardhan dhama to systematically propagate the teachings of Śrīmad-Bhāgavatam and Caitanya-caritāmṛta to the society at large.
To accomplish the above mission, ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya will facilitate philosophical training for adult residential and non-residential students through the traditional Vedic educational methods. ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.
Course Overview
पाठ्यक्रम विवरण:
श्रीमद्भागवतम में, जब शुकदेव गोस्वामी ने यदुवंश, साथ ही सोम और सूर्य के राजवंशों का वर्णन करना समाप्त किया, तो महाराज परीक्षित् ने उनसे भगवान् श्रीकृष्ण का वर्णन करने का अनुरोध किया, जो यदुवंश में बलदेव के साथ प्रकट हुए थे, और पूछा कि कैसे श्रीकृष्ण ने इस जगत् में अपनी लीलाओं का प्रदर्शन किया। कृष्ण दिव्य हैं, राजा ने कहा, और इसलिए उनकी लीलाओं को समझना मुक्त व्यक्तियों का कार्य है। कृष्णलीला का श्रवण वह नाव है जिसके द्वारा जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। एक पशु हत्यारे या आत्महा-नीति का पालन करने वाले को छोड़कर, हर बुद्धिमान व्यक्ति को कृष्ण और उनकी लीलाओं को समझने का प्रयास करना चाहिए।
पाठ्यक्रम सामग्री:
श्रील प्रभुपाद द्वारा लिखित कृष्ण पुस्तक से पहले 38 अध्याय
लक्षित श्रोतागण:
सभी के लिए।
आकलन योजना:
पाठ्यक्रम के अंत में एमसीक्यू (बहुविकल्पीय) के साथ ऑनलाइन परीक्षा।
पाठ्यक्रम की पात्रता:
कोई नहीं।
इस कोर्स से छात्रों को क्या मिलेगा?
छात्रों में कृष्ण लीला के प्रति रुचि विकसित होगी और कृष्ण से लगाव हो जाएगा।
इस कोर्स में आपको क्यों सम्मिलित होना चाहिए?
- यदि आप कृष्ण प्रेम विकसित करना चाहते हैं।
- यदि आप अमृत के सागर में डूबना चाहते हैं।
- यदि आप कृष्ण की दिव्य लीलाओं का सही अर्थ जानना चाहते हैं।
हम पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों की किन समस्याओं का समाधान होगा?
कृष्ण लीला सुनने के लिए रूचि की कमी।
Course Content
Frequently Asked Questions
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