भक्ति के सिद्धांतों पर आगे विचार

By ISKCON BHAGAVATA MAHAVIDYALAYA

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Hindi

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ISKCON BHAGAVATA MAHAVIDYALAYA

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings.

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.

Course Overview

पाठ्यक्रम शीर्षक:

भक्ति के सिद्धांतों  पर आगे विचार  ( Chapter 9)

पाठ्यक्रम विवरण:

यह पाठ्यक्रम श्रील रूप गोस्वामी द्वारा रचित 'भक्ति रसामृत सिंधु' के नौवें अध्याय पर आधारित है। इस अध्याय में भक्ति के विभिन्न अंगों का विशद विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जो साधक को भक्ति मार्ग पर उन्नति करने में सहायता करते हैं। यह पाठ्यक्रम भक्ति के अंगों की गहरी समझ प्रदान करता है और उनकी प्रथाओं और लाभों को विस्तार से समझाता है।

पाठ्यक्रम सामग्री:

भक्ति के अंगों का परिचय:

  • भक्ति के प्रमुख अंगों का संक्षिप्त परिचय।
  • भक्ति के अंगों का महत्व और उनकी आवश्यकता।

श्रवण (सुनना):

  • भगवद कथा और कीर्तन का श्रवण।
  • श्रवण की विधि, महत्व और लाभ।

कीर्तन (गायन):

  • भगवद नाम और लीलाओं का कीर्तन।
  • कीर्तन की विधि, प्रकार और लाभ।

स्मरण (स्मरण करना):

  • भगवद स्मरण की विधियाँ।
  • स्मरण का महत्व और उसके लाभ।

पादसेवन (चरणों की सेवा):

  • भगवद चरणों की सेवा का महत्व।
  • पादसेवन की विधियाँ और उनके लाभ।

अर्चन (पूजन):

  • विग्रह, तुलसी और अन्य धार्मिक प्रतीकों का पूजन।
  • अर्चन की विधि और उसके लाभ।

वंदन (प्रार्थना):

  • भगवद स्तुति और प्रार्थना का महत्व।
  • वंदन की विधि और उसके लाभ।

दास्य (सेवा):

  • भगवद सेवा का महत्व और उसकी विधियाँ।
  • दास्य भक्ति के लाभ और अनुभव।

सख्य (मित्रता):

  • भगवद मित्रता का महत्व और उसके लाभ।
  • सख्य भक्ति की विधियाँ और अनुभव।

आत्मनिवेदन (समर्पण):

  • आत्मसमर्पण की विधियाँ और महत्व।
  • आत्मनिवेदन के लाभ और अनुभव।

लक्ष्य श्रोता:

  • वे व्यक्ति जो भक्ति योग में गहरी रुचि रखते हैं।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक साधना में उन्नति के इच्छुक साधक।
  • भक्ति के विभिन्न अंगों को समझने और उनका अभ्यास करने के इच्छुक साधक।

पाठ्यक्रम की आवश्यकता:

  • भक्ति के अंगों की गहरी समझ और उनके महत्व का ज्ञान।
  • भक्ति साधना के सही अभ्यास और लाभों का ज्ञान।
  • आत्मिक उन्नति के मार्ग में आवश्यक अंगों की जानकारी।

कोर्स से प्रतिभागियों को क्या मिलेगा?

  • भक्ति के प्रमुख अंगों का विस्तृत विश्लेषण।
  • प्रत्येक अंग की विधि, महत्व और लाभों का ज्ञान।
  • भक्ति साधना के माध्यम से आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन।
  • भक्ति के विभिन्न अनुभवों और उनके लाभों का ज्ञान।

क्यों करना चाहिए यह कोर्स?

  • भक्ति योग के अंगों को समझने और उनका अभ्यास करने के लिए।
  • भक्ति साधना में सही दिशा और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए।
  • आत्मिक उन्नति और जीवन में शांति, संतोष और आनंद प्राप्त करने के लिए।
  • भक्ति योग के विभिन्न अनुभवों से प्रेरणा प्राप्त करने के लिए।

हम इस पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों की कौन-कौन सी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं?

  • भक्ति साधना के सही अभ्यास और विधियों की कमी।
  • भक्ति के विभिन्न अंगों के ज्ञान का अभाव।
  • आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन की आवश्यकता।
  • भक्ति साधना में स्थिरता और दृढ़ता की कमी।

Course Content

Frequently Asked Questions

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