भक्ति के लिए पत्रत्ता

By ISKCON BHAGAVATA MAHAVIDYALAYA

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30 Mins

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Language
Hindi

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Anyone

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About the Teacher

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ISKCON BHAGAVATA MAHAVIDYALAYA

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings.

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.

Course Overview

पाठ्यक्रम शीर्षक:

भक्ति के लिए पत्रत्ता (Chapter 3)

पाठ्यक्रम विवरण:

यह पाठ्यक्रम श्रील रूप गोस्वामी द्वारा रचित 'भक्ति रसामृत सिंधु' के तीसरे अध्याय पर आधारित है। यह अध्याय भावितयोग (प्रेममयी भक्ति) के अधिकारी के लक्षणों पर केंद्रित है, जिसमें भक्ति योग के उन गुणों और लक्षणों का वर्णन किया गया है जो एक साधक को उन्नत भक्ति की स्थिति तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य भक्ति योग के अधिकारी के गुणों और उनकी विशेषताओं को समझना है।

पाठ्यक्रम सामग्री:

श्रद्धा और निष्ठा (विश्वास और दृढ़ता):

  • भक्ति में गहरी श्रद्धा और दृढ़ता के लक्षण।
  • श्रद्धा और निष्ठा के विकास के उपाय।

सत्संग और साधु-संग (संतों का संग):

  • संतों के साथ संगति का महत्व।
  • सत्संग के लाभ और इसके लक्षण।

अनाथापन (अकिंचनता):

  • भक्ति योग में विनम्रता और अहंकाररहितता के लक्षण।
  • अनाथापन के महत्व और उसे प्राप्त करने के उपाय।

कृष्ण में अनन्यता (एकाग्रता):

  • कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति।
  • कृष्ण के प्रति एकाग्रता के लक्षण और विकास।

अनासक्ति (वैराग्य):

  • सांसारिक विषयों से अनासक्ति और वैराग्य के लक्षण।
  • वैराग्य के विकास के उपाय।

सहिष्णुता (धैर्य और सहनशीलता):

  • भक्ति योग में सहिष्णुता और धैर्य के लक्षण।
  • सहिष्णुता के महत्व और उसे प्राप्त करने के उपाय।

लक्ष्य श्रोता:

  • वे व्यक्ति जो भक्ति योग में उन्नति करना चाहते हैं।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक साधना में गहरी रुचि रखने वाले साधक।
  • भक्ति के अधिकारी के लक्षणों को समझने के इच्छुक साधक।

पाठ्यक्रम की आवश्यकता:

  • भक्ति योग के अधिकारी के लक्षणों की गहरी समझ।
  • भक्ति में उन्नति के लिए आवश्यक गुणों का विकास।
  • भक्ति साधना में स्थिरता और दृढ़ता प्राप्त करना।

कोर्स से प्रतिभागियों को क्या मिलेगा?

  • भक्ति के अधिकारी के लक्षणों की व्यापक जानकारी।
  • भक्ति साधना में आवश्यक गुणों और लक्षणों का विकास।
  • भक्ति में स्थिरता और दृढ़ता प्राप्त करने के उपाय।
  • आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति की प्राप्ति।

क्यों करना चाहिए यह कोर्स?

  • भक्ति योग में उन्नति के लिए आवश्यक गुणों को विकसित करने के लिए।
  • भक्ति साधना में स्थिरता और दृढ़ता प्राप्त करने के लिए।
  • जीवन में शांति, संतोष और आत्मिक उन्नति के लिए।
  • भक्ति योग के अधिकारी के लक्षणों को समझने और अपनाने के लिए।

हम इस पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों की कौन-कौन सी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं?

  • भक्ति साधना में आवश्यक गुणों की कमी।
  • भक्ति में स्थिरता और दृढ़ता की कमी।
  • सांसारिक विषयों से अनासक्ति और वैराग्य की कमी।
  • भक्ति योग में उन्नति के लिए आवश्यक मार्गदर्शन का अभाव।

Course Content

Frequently Asked Questions

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