अपनी चेतना को कृष्ण भावनामृत कैसे बनाये?

By Radhika Premabhakti Devi Dasi

Certificate Course

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Course Duration

24 Hours Approx..

Videos

90 Minutes/ Session

No. Of Sessions

16

Sessions per week

3

Language
Hindi

Eligibility

Anyone

Schedule of Classes

calendar

Starts on
-

calendar

4:30 PM - 6:00 PM

Regular classes on

Wed, Fri, Sat

About the Teacher

teacher

Radhika Premabhakti Devi Dasi

Radhika Premabhakti DD (M.A., B.Ed.) came in touch with ISKCON in Bhopal in 2010. She received Harinam initiation from HH Jayapataka Swami Maharaj in 2016 and Brahminical initiation in 2022. As a member of the JPS archives team, she renders translation services for Guru Maharaj’s lectures. In 2022, she completed the Bhakti Shastri course from RISE courses Indore. She is engaged in various services for the local Bhopal Temple.

Course Overview

पाठ्यक्रम का शीर्षक:

अपनी चेतना को कृष्ण भावनामृत कैसे बनाएं?

पाठ्यक्रम विवरण:

इस पाठ्यक्रम में, हम श्रील प्रभुपाद की पुस्तक "कृष्ण भावनामृत की प्राप्ति" के माध्यम से अपनी चेतना को कृष्ण भावनामृत में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को समझेंगे। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को श्रीमद्भागवतम की गहन शिक्षा प्रदान करेगा, जिससे वे अपने जीवन में भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम को और अधिक गहरा बना सकें।

पाठ्यक्रम सामग्री:

  • श्रील प्रभुपाद द्वारा रचित पुस्तक "कृष्ण भावनामृत की प्राप्ति"
  • श्रीमद्भागवतम के विभिन्न अध्यायों की व्याख्या और अध्ययन
  • ध्यान और कीर्तन सत्र
  • प्रश्नोत्तरी और चर्चा सत्र

लक्षित दर्शक:

  • वे सभी जो अपनी आध्यात्मिक चेतना को कृष्ण भावनामृत में परिवर्तित करना चाहते हैं
  • श्रीमद्भागवतम का गहन अध्ययन करने के इच्छुक व्यक्ति
  • भक्ति मार्ग में नई दिशा और प्रेरणा पाने की इच्छा रखने वाले भक्तगण

पाठ्यक्रम की आवश्यकता:

  • पाठ्यक्रम में शामिल होने वाले विद्यार्थियों का आध्यात्मिक रूप से समर्पित होना आवश्यक है
  • नियमित अध्ययन और ध्यान के लिए समय निकालने की इच्छा
  • श्रीमद्भागवतम और अन्य धार्मिक ग्रंथों के प्रति आदर और श्रद्धा

विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश:

  1. नियमित रूप से कक्षाओं में भाग लें और दिए गए कार्यों को समय पर पूरा करें।
  2. ध्यान और कीर्तन सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लें।
  3. प्रश्न पूछने और चर्चा में भाग लेने में संकोच न करें।
  4. पुस्तक और अन्य पाठ्य सामग्री का सम्मान करें।
  5. सहपाठियों के साथ सहयोगात्मक और सहयोगी व्यवहार रखें।

विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम से क्या लाभ प्राप्त करेंगे?

  • श्रीमद्भागवतम की गहन शिक्षा और ज्ञान
  • कृष्ण भावनामृत में चेतना की वृद्धि
  • ध्यान और कीर्तन की तकनीकों में निपुणता
  • आध्यात्मिक जीवन में संतुलन और शांति
  • भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की वृद्धि

इस पाठ्यक्रम में भाग क्यों लें?

  • अपनी चेतना को कृष्ण भावनामृत में परिवर्तित करने का अनूठा अवसर
  • श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं और श्रीमद्भागवतम के गहरे ज्ञान से परिचित होना
  • आध्यात्मिक विकास और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की प्राप्ति
  • आध्यात्मिक समुदाय का हिस्सा बनना और सहपाठियों के साथ अनुभव साझा करना

पाठ्यक्रम के माध्यम से हम विद्यार्थियों की किन समस्याओं का समाधान कर रहे हैं?

  • आध्यात्मिक चेतना की कमी को दूर करना
  • श्रीमद्भागवतम का सही और सटीक ज्ञान प्रदान करना
  • ध्यान और कीर्तन के माध्यम से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करना
  • भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति को गहरा करना
  • आध्यात्मिक जीवन में उत्पन्न होने वाले प्रश्नों और समस्याओं का समाधान देना

Frequently Asked Questions

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