Course Duration
2 Hours
2 Hours
Videos
2 Hours/ Session
2 Hours/ Session
No. Of Sessions
10
10
Sessions per week
4
4
Language
Hindi
Eligibility
Anyone
Anyone
Schedule of Classes
Starts on
-
7 PM - 9 PM IST
Regular classes onMonday - Thursday
About the Teacher
Golok Gaur Das
About the Teacher
गोलोक गौर दास जी की यात्रा बहुत ही रोचक रही है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में प्रोफेशनल करियर से एक पूर्णकालिक भक्त के रूप में इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) में प्रवेश किया। उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने लखनऊ से इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में बी.टेक किया है। कॉर्पोरेट सेक्टर में रिलायंस कम्युनिकेशन के साथ साढ़े तीन साल तक कार्य करने के बाद, उन्होंने अपने जीवन को आध्यात्मिक दिशा में समर्पित करने का निर्णय लिया और 2012 में इस्कॉन में पूर्णकालिक भक्त के रूप में शामिल हो गए।
तब से, वे मंदिर में विभिन्न भूमिकाओं में सक्रिय रूप से सेवा कर रहे हैं, जिनमें मंदिर सचिव, लेखा विभाग का प्रबंधन, और टीसीओ (टेम्पल कमांडिंग ऑफिसर) की जिम्मेदारियाँ शामिल हैं। मंदिर सेवा के साथ-साथ उन्होंने आध्यात्मिक साहित्य और शिक्षण में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी। वे भक्तिशास्त्री और भक्तिवैभव शिक्षक हैं और प्रतिष्ठित मायापुर इंस्टीट्यूट सहित विभिन्न संस्थानों में अध्यापन करते हैं, जहाँ वे शास्त्रों और भक्तिमय जीवन के अभ्यास के बारे में छात्रों को ज्ञान प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, गोलोक गौर प्रभुजी इस्कॉन यूथ फोरम के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं, जहाँ वे युवाओं को प्रेरित करने और मार्गदर्शन देने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इस भूमिका में वे हजारों युवाओं को उनकी आध्यात्मिक यात्रा में सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
वे इस्कॉन फेस्टिवल कमेटी के सदस्य भी हैं, जहाँ वे विभिन्न उत्सवों और कार्यक्रमों के आयोजन और प्रबंधन में योगदान देते हैं। इसके अतिरिक्त, वे नामहट्ट प्रचार सेवा से भी जुड़े हुए हैं, जो दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में कृष्णभावनामृत के प्रचार-प्रसार का कार्य करता है।
कुल मिलाकर, गोलोक गौर प्रभुजी का जीवन आध्यात्मिक उन्नति, सेवा, और कृष्णभावनामृत के प्रचार में उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनकी सेवाएँ इस्कॉन समुदाय के भीतर और बाहर, कई व्यक्तियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं।
Course Overview
पाठ्यक्रम का परिचय:
'वैष्णव सादचार' कोर्स व्यक्ति को वैष्णव सिद्धांतों और आचरण नियमों की गहन समझ प्रदान करता है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागी वैष्णव सादचार के विभिन्न पहलुओं को जानेंगे, जैसे:
- शिष्टाचार का महत्व
- मंदिर के नियम
- वैष्णव रूप और सामान्य व्यवहार
- व्यक्तिगत आदतें और होली नाम का जप
- प्रसाद सम्मान और सेवा शृंगार
- भक्तों एवं मेहमानों के साथ उचित व्यवहार
- मूर्ति पूजा और यात्रा के नियम
- गृहस्थ आश्रम और संस्कार
पाठ्यक्रम सामग्री:
- शिष्टाचार का महत्व
- मंदिर के नियम
- वैष्णव रूप एवं सामान्य व्यवहार
- व्यक्तिगत आदतें और भक्ति गतिविधियाँ
- रसोई, प्रसाद सम्मान और सेवा शृंगार
- भक्तों और मेहमानों के साथ व्यवहार
- पवित्र नाम का जप
- मूर्ति पूजा के आदर्श
- यात्रा के नियम
- गृहस्थ आश्रम और संस्कार
लक्षित दर्शक:
इस कोर्स को उन सभी व्यक्तियों के लिए तैयार किया गया है जो वैष्णव सादचार के सिद्धांतों को सीखना और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहते हैं। यह कोर्स विशेष रूप से भक्तों, मंदिर सेवकों और आध्यात्मिक साधकों के लिए लाभकारी है।
पाठ्यक्रम की आवश्यकताएँ:
✅ वैष्णव सिद्धांतों के प्रति रुचि और समर्पण।
✅ नियमित अभ्यास और सीखने की भावना।
✅ आध्यात्मिक समुदाय से जुड़ने की इच्छा।
पाठ्यक्रम से प्राप्त लाभ:
- उचित वैष्णव आचार और व्यवहार
- आपसी मतभेद और संघर्ष समाधान
- सेवा-भाव का विकास
- स्वच्छता और अनुशासन
- मंदिर शिष्टाचार और अर्चन विधि
- चार नियमों का पालन
- संत-संगति का लाभ
- कृतज्ञता और विनम्रता
यह पाठ्यक्रम क्यों करें?
✅ सुसंस्कृत एवं अनुशासित जीवन – भक्तों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध।
✅ सत्संग एवं सेवा का मार्गदर्शन – आध्यात्मिक वातावरण में वृद्धि।
✅ व्यवहारिक और आध्यात्मिक विकास – नैतिकता और आदर्श जीवनशैली का अभ्यास।
✅ समुदाय निर्माण – वैश्विक भक्त समुदाय में प्रभावी योगदान।