भक्ति शास्त्री (Dec 2024)

By ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya

Certificate Course

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Course Duration

6 Months

Videos

2 Hours

No. Of Sessions

Approx. 133 

Sessions per week

5

Language
Hindi

Eligibility

Recommendation Required

Schedule of Classes

calendar

Starts on
-

calendar

7:00 PM - 9:00 PM IST

Regular classes on

Monday - Friday

About the Teacher

teacher

ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings. ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya is located in Sri Govardhan dhama to systematically propagate the teachings of Śrīmad-Bhāgavatam and Caitanya-caritāmṛta to the society at large.

To accomplish the above mission, ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya will facilitate philosophical training for adult residential and non-residential students through the traditional Vedic educational methods. ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.

Course Overview

Course Description:

स्वरूप दामोदर को पत्र - बॉम्बे 10 जनवरी, 1976: मैंने GBC के विचार हेतु भी सुझाव दिया है कि हमें भक्तों के लिए एक परीक्षा प्रणाली शुरू करनी है | कभी-कभी ऐसी आलोचना की जाती है कि हमारे भक्त पर्याप्त रूप से शिक्षित नहीं है, विशेषतः ब्राह्मण | निसन्देह द्वितीय दीक्षा परीक्षा उत्तीर्ण करने पर निर्भर नहीं करती है। किस प्रकार से उसने अपने जीवन को ढाला है - उसका जप, आरती में भाग लेना आदि, ये आवश्यक चीज़े हैं। फिर भी, ब्राह्मण का अर्थ है पंडित। इसलिए मैं परीक्षा प्रणाली का सुझाव दे रहा हूं। भक्ति-शास्त्री - भगवद-गीता, श्री ईशोपनिषद, भक्तिरसामृत सिन्धु, उपदेशामृत, और सभी छोटे पेपर बैक पर आधारित होगा। भक्ति-वैभव- उपरोक्त को मिलाकर श्रीमद्भागवतम के पहले छः स्कन्ध, भक्तिवेदांत- उपरोक्त को मिलाकर श्रीमद्भागवतम के ७-१२ स्कन्ध और भक्ति-सार्वभौम - उपरोक्त को मिलाकर चैतन्य-चरितामृत का अध्ययन।

ये उपाधियाँ बी.ए., एम.ए. और पीएच.डी. में प्रवेश के समान है| तो अब विचार करें कि इस संस्थान को कैसे संगठित किया जाए।

हमने उन भक्तों के लिए भक्ति शास्त्री पाठ्यक्रम तैयार किया है जो गंभीरता से कृष्ण भावनामृत का अभ्यास कर रहे हैं और श्रील प्रभुपाद की- भगवद-गीता यथारूप, भक्ति-रसामृत सिन्धु, उपदेशामृत और श्री ईशोपनिषद- इन पुस्तकों का व्यवस्थित रूप से अध्ययन करना चाहते हैं। यह पाठ्यक्रम आपको अपने शास्त्र ज्ञान और समझ को बढ़ाने में मदद करेगा। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य उन वैष्णवो को तैयार करने का है जो कृष्ण भावनामृत का अभ्यास करने में दृढ़ निश्चयी हैं और गौड़ीय वैष्णव सिद्धांतों को समाज तक पहुँचाने में समर्थ हैं। श्रील प्रभुपाद ने इस पाठ्यक्रम को सभी इस्कॉन भक्तों के लिए ब्राह्मणीय प्रशिक्षण और शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा बताया है। योग्य छात्रों को इस्कॉन बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन से एक “भक्ति-शास्त्री” प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।

Course Contents:

भगवद् गीता, उपदेशामृत, भक्तिरसामृत सिन्धु, और ईशोपनिषद् का गहन और व्यवस्थित अध्ययन

Course Materials:

भक्ति-शास्त्री छात्र पुस्तिका

Assessment Plan:

6 बंद-पुस्तक परीक्षा, 12 खुली –पुस्तक परीक्षा, 6 श्लोक कंठस्थ तथा ऑनलाइन कक्षा उपस्थिति

नामांकन के लिए आवश्यकताएँ: -

  • आपकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • भक्ति शास्त्री की डिग्री प्राप्त करने के लिए योग्य होने के लिए इस्कॉन बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, छात्रों को हर रोज हरे कृष्ण महा-मंत्र की न्यूनतम 16 माला करनी चाहिए और चार नियमों का पालन करना चाहिए।
  • भक्ति शास्त्री डिग्री प्राप्त करने के लिए इस्कॉन बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के नियमों के अनुसार, कोर्स में आपकी उपस्थिति कम से कम 75% होनी चाहिए।
  • बेहतर समझ के लिए हम विनम्रतापूर्वक आपसे निवेदन करते हैं कि यहाँ हमारे साथ इन चार पुस्तकों - भगवद गीता, भक्तिरसामृत सिन्धु, उपदेशामृत और श्री ईशोपनिषद का गहन अध्ययन करने से पहले, आप इन पुस्तकों को पढ़े और इस पाठ्यक्रम से पूरी तरह लाभान्वित हों।
  • आपको एक सिफारिश पत्र प्रस्तुत करना होगा, एक इस्कॉन अधिकारी द्वारा जो आपको अच्छी तरह से जानता हो, आपके चरित्र, साधना, ब्राह्मणीय प्रवृत्तियों को प्रमाणित करता हो और आपका कम से कम पिछले 12 महीनों से भगवान चैतन्य महाप्रभु के प्रचार अभियान में अनुकूल योगदान होना चाहिए।

Recommendation Letter

Google Form

नोट: आपका एडमिशन फॉर्म और सिफारिश पत्र प्राप्त होने के बाद ही आपका प्रवेश इस कोर्स में मान्य होगा।

  • बंद-पुस्तक परीक्षा के दौरान पालन किए जाने वाले नियम। सभी छात्रों को पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने से पहले बंद-पुस्तक परीक्षा के संबंध में निम्नलिखित आवश्यकताओं के लिए सहमत होना चाहिए।
  • सभी बंद पुस्तक परीक्षाएं ऑनलाइन (क्लाउड मीटिंग में) आयोजित की जाएंगी।
  • उत्तर हाथ से लिखे जाने चाहिए, टाइपिंग के लिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की अनुमति नहीं है।
  • क्लाउड मीटिंग में प्रत्येक छात्र के पास दो डिवाइस लाइव होने चाहिए। एक डिवाइस परीक्षा लिखते हुए छात्र के साथ-साथ उसके फ्रंट डिवाइस की स्क्रीन को कवर करेगा। प्रश्न पत्र जो कि क्लाउड मीटिंग स्क्रीन में साझा किया जाएगा को देखने के लिए छात्र द्वारा दूसरे डिवाइस (फ्रंट डिवाइस )का उपयोग किया जाएगा जो कि उसके सामने रखा जाएगा
  • परीक्षा के तुरंत बाद, छात्र को अपनी उत्तर पुस्तिका को फ्रंट डिवाइस कैमरे के सामने स्कैन करना होगा और इसे असेसमेंट सेक्शन के माध्यम से हमें जमा करना होगा।

Frequently Asked Questions